Miracles

Miracleएक बार मन्दिर मे पत्थर लगा वह लड़का बहुत खुश था|तब वह माँ से बोला- हे माँ आज मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा|मेरी ओकात तो बोरी पर बैठने की थी|एक पल मे ही आपने मेरी दुनिया बदल दी|वह बैठा-बैठा सोच ही रहा था कि उसकी नज़र एक फ़र्श पर पड़ी और उसने देखा और बोला-"यह कैसै हो सकता है"|उसने देखा सामने फर्श पर देवी माँ का स्वरुप बना हुआ है|वह बहुत खुश हुआ और दुःखी भी |खुश तो इसलिए कि माँ मन्दिर मे आ गई और दुःखी इसलिए कि देवी माँ का स्वरुप फर्श पर होने के कारण हर रोज मेरे और सभी भक्त्तजनो के पैरो मे आएगी| वह फर्श पर जा कर बैठ गया और उस तस्वीर से लिपट कर बहुत रोया और बोला मेरी ओकात तो बोरी पर बैठने की थी ये आपने क्या किया |आपने फर्श पर आपनी आकृति डाल कर यह दिखा दिया है कि "माँ आपने बेटे के लिए कुछ भी कर सकती है"| तभी उसकी नज़र थोड़ी आगे पड़ी उसने देखा कि फर्श पर हवन-कुण्ड और गद्दी भी है|तब वह बहुत खुश हुआ और उसने ये बात आपने परिवार को बताई तो वह बोले कि "तू तो पागल हो गाया है तूझे तो माँ हर जगह नज़र आती है"|तेरे लिए माँ क्या फर्श पर आएगी| फिर जब उसने आपने परिवार को दर्शन कराए तो वह बहुत कुश हुए और बोले भक्त्ती मे बड़ी शक्त्ति होती है सुना था पर अब देख लिया |
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